राष्ट्रीय वन नीति के अनुसरण में जन भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए वन विभाग ने संयुक्त वन प्रबंधन की अवधारणा को अंगीकार किया है। वन सुरक्षा एवं वन विकास के समस्त कार्यों में जन भागीदारी को सुनिश्चित करने के लिये मध्य प्रदेश शासन द्वारा 22 अक्टूबर, 2001 को संशोधित संकल्प पारित किया गया है, जिसमें निम्नानुसार तीन प्रकार की संयुक्त वन प्रबंधन समितियों के गठन का प्रावधान है -
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- वन सुरक्षा समिति : सघन वनक्षेत्रों में वनखंड सीमा के पांच किलोमीटर दूरी तक स्थित ग्रामों में आने वाली समितियों को वन सुरक्षा समिति कहा जाता है। यह ऐसे वन क्षेत्र हैं जिनसे नियमित वानिकी कार्यों के अन्तर्गत वन उत्पाद प्राप्त किये जाते है।
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ईको विकास समिति : राष्ट्रीय उद्यान तथा अभ्यारण्य क्षेत्रों में स्थित समस्त ग्राम, उनकी बाहरी सीमा से पांच किलोमीटर की परिधि में स्थित ऐसे ग्राम जिनका प्रभाव संरक्षित क्षेत्र प्रबंधन के अनुसार संरक्षित क्षेत्र के प्रबंध पर पड़ता है तथा जहां बफर क्षेत्र चिन्हित है, वहां बफर क्षेत्र के समस्त ग्रामों में वनों के प्रबंध में जन-सहयोग प्राप्त करने हेतु बनाई गई समिति को ईको विकास समिति कहा जाता है।
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संकल्प के अनुसार वोट देने का अधिकार रखने वाले समस्त ग्रामीण आम सभा के सदस्य होंगे। राज्य शासन द्वारा जारी समसंख्यक अधिसूचना दिनांक 14.01.08 द्वारा दिनांक 22 अक्टूबर, 2001 के संकल्प की कंडिका 5.2 को संशोधित करते हुए अध्यक्ष पद के एक तिहाई पद महिलाओं हेतु आरक्षित किये गये हैं। साथ ही अध्यक्ष / उपाध्यक्ष में से एक पद पर महिला का होना अनिवार्य किया गया है। अनुसूचित जाति, जनजाति व पिछड़ा वर्ग के सदस्यों का अनुपात ग्राम सभा में यथासंभव इनकी जनसंख्या के अनुपात में होगा तथा कार्यकारिणी में न्यूनतम 33 प्रतिशत महिलाएं होंगी।
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वन समितियों की कुल संख्या 15,228 है, जिनके द्वारा 66874 वर्ग कि.मी. वन क्षेत्रों का प्रबंधन किया जा रहा है, जिसका विवरण तालिका में दर्शित है -
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